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केजरीवाल तो छोड़िए किसी भी मुख्‍यमंत्री को गिरफ्तार करना नहीं होता आसान

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Leave alone Kejriwal, it is not easy to arrest any Chief Minister. / केजरीवाल तो छोड़िए किसी भी मुख्‍यमंत्री को गिरफ्तार करना नहीं होता आसान : – दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी पेश होने के लिए तीसरा समन भेज चुकी है लेकिन केजरीवाल ईडी के सामने उपस्थित नहीं हो रहे हैं। क्या कारण है कि पुलिस उनको गिरफ्तार नहीं कर पा रही है और कानून में क्या अड़चनें आ रही है जानेंगे इस पोस्ट में। रोजाना देश विदेश की खबरें, कृषि समाचार कृषि योजनाएं मंडी भाव की जानकारी पाने के लिए गुगल पर सर्च जरूर करें 👉 Mandi Xpert

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Leave alone Kejriwal, it is not easy to arrest any Chief Minister., केजरीवाल तो छोड़िए किसी भी मुख्‍यमंत्री को गिरफ्तार करना नहीं होता आसान

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केजरीवाल तो छोड़िए किसी भी मुख्‍यमंत्री को गिरफ्तार करना नहीं होता आसान, क्‍या कहते हैं कानून
भारत में आरोप साबित होने पर आरोपी को दोषी मानते हुए गिरफ्तार किया जा सकता है. यह गिरफ्तारी सिविल और क्रिमिनल दोनों तरह के मामलों में की जा सकती है. लेकिन, मुख्यमंत्री के मामले में नियम कुछ अलग हैं. देश में सिर्फ राज्‍यपाल और राष्‍ट्रपति को गिरफ्तारी से छूट मिलती है ।

दिल्ली शराब नीति मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बार-बार प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होने से इनकार कर रहे हैं. इस बीच उनकी गिरफ्तारी की चर्चा भी आम हो गई. आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि ईडी अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर सकती है. सवाल ये उठता है कि क्‍या किसी भी जांच एजेंसी के लिए किसी राज्‍य के मुख्‍यमंत्री को गिरफ्तार कर लेना इतना आसान होता है. किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने के नियम-कानून क्‍या है? क्‍या उन्‍हें गिरफ्तारी से छूट मिलती है?

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आम लोगों के लिए किसी मुख्‍यमंत्री की गिरफ्तारी की बात सुनना बहुत अजीब अनुभव होता है. बता दें कि भारतीय दंड सहिंता के तहत किसी भी आरोपी पर आरोप साबित होने पर उसे दोषी मान लिया जता है. इसके बाद उसकी गिरफ्तारी की जा सकती है. यह गिरफ्तारी सिविल और क्रिमिनल दोनों तरह के मामलों में की जा सकती है. लेकिन, किसी राज्‍य के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के मामले में नियम अलग होते हैं. नागरिक प्रक्रिया संहिता के तहत मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने को लेकर विशेष प्राविधान किए गए हैं. इनके तहत सीएम की विशेष परिस्थिति में गिरफ्तारी के नियम हैं ।

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मुख्‍यमंत्री को कब-कब गिरफ्तार नहीं कर सकते
कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर के सेक्‍शन-135 के तहत अगर विधानसभा सत्र शुरू होने वाला है तो शुरू होने से 40 दिन पहले और खत्‍म होने के 40 दिन बाद तक मुख्यमंत्री, विधानसभा या विधान परिषद सदस्य की गिरफ्तारी नहीं की जा सकती है. अवधि पूरी होने के बाद सदन के अध्यक्ष की मंजूरी लेकर क्रिमिनल मामले में इन्‍हें गिरफ्तारी किया जा सकता है. इसके अलावा किसी राज्‍य के मुख्यमंत्री को विधानसभा से गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. वहीं, अगर जांच एजेंसी ये साबित कर सकती है कि आरोपी फरार हो सकता है, सबूत मिटाने की की कोशिश कर सकता है या कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए कोई काम कर सकता है तो सीएम को भी गिरफ्तार किया जा सकता है

जानें किस-किस को मिलती है गिरफ्तारी से छूट


आपराधिक प्रक्रिया संहिता के अनुच्छेद-61 के तहत भारत के राष्‍ट्रपति और राज्यपाल को पद पर रहते हुए गिरफ्तारी से छूट मिलती है. उन्‍हें सिविल और क्रिमिनल दोनों तरह के मामलों में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. हालांकि, राष्‍ट्रपति और राज्यपाल को भी पद से इस्तीफा देने के बाद गिरफ्तार किया जा सकता है. संविधान के अनुच्छेद-361 में कहा गया है कि भारत के राष्‍ट्रपति और राज्यों के राज्यपाल अपने आधिकारिक कर्तव्यों को निभाने के लिए किए गए किसी भी काम के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं हैं. साथ ही सुप्रीम कोर्ट की दी हुई व्यवस्था के मुताबिक, कैबिनेट सदस्यों और मुख्यमंत्री के खिलाफ अभियोजन पर विचार करते समय राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सिफारिश के बिना स्वतंत्र तौर पर काम कर सकते हैं ।

पहली बार किस मुख्‍यमंत्री को किया गया गिरफ्तार


मुख्‍यमंत्री को गिरफ्तार करने का देश में पहला मामला तमिलनाडु में हुआ था. दरअसल, तमिलनाडु की मुख्‍यमंत्री जे. जयललिता पर गांवों के लिए रंगीन टेलीविजन सेट्स की खरीद में भ्रष्‍टाचार के आरोप लगे. इसके बाद उन्‍हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में 7 दिसंबर 1996 को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्‍हें अपने पद से इस्‍तीफा भी देना पड़ा था. उन्हें एक महीने तक जेल में रहना पड़ा था. बता दें कि केंद्रीय एजेंसी आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 के प्रावधानों के मुताबिक अदालत से गिरफ्तारी वारंट जारी करवाकर किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है ।