कपास की बिजाई के संबंध :- नमस्कार किसान भाइयों चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार समय समय पर किसानों को फसलों की बिजाई, उपचार और रोगों के संबंध में उचित जानकारी उपलब्ध करवाता है आज की पोस्ट में जानेंगे कपास बिजाई की पूरी जानकारी।
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बिजाई का समय
कपास की बिजाई अप्रैल में शुरू कर मध्य मई तक कर ले। जून माह में कपास की बिजाई न करें। बिजाई से पहले पलेवा गहरा लगाएं, बिजाई सुबह या शाम के समय की जानी चाहिए। पूर्व से पश्चिम की दिशा में कपास की बिजाई लाभकारी होती है।
➤ देसी कपास की बिजाई अप्रैल माह में ही कर ले।
▶ खेत की तैयारी सुबह या शाम को ही करें खरपतवार के लिए स्टोम्प 2 लीटर प्रति एकड़ का छिड़काव बिजाई के बाद व जमाव से पहले करें बीटी कपास दो खूडों के बीच में मुंग (MH 421 ) के दो खुड सकते हैं।
जो किसान भाई टपका विधि से बीटी कपास की बिजाई करना चाहते है वह जब तक जमाव नहीं होता तब तक रोज 10 से 15 मिनट सुबह-शाम ड्रिप अवश्य बलाए व जमाव के बाद हर चौथे दिन लगभग 30 से 35 मिनट डिप चलाएं।
उर्वरक
किसान भाई मिट्टी की जांच अवश्य करवाएं, मिट्टी की जांच के आधार पर ही पोषक तत्व की मात्रा तय की जानी चाहिए।
बी टी कपास की बिजाई के समय एक एकड़ में एक बैग यूरिया, एक बैग डी.ए.पी. 30 से 40 किलो ग्राम पोटाश व 10 किलो ग्राम जिंक सल्फेट (21 प्रतिशत खेत की तैयारी के समय अवश्य डालें।
देसी कपास की बिजाई के समय एक एकड़ में 15 किलो ग्राम यूरिया व 10 किलो ग्राम जिंक सल्फेट अवश्य डालें।
उन्नत किस्में
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित देसी कपास की उन्नत किस्में
देसी कपास की उन्नत किस्में एच डी 123, एच डी 432
किसान भाई बी टी कपास का विश्वविद्यालय द्वारा सिफारिश किया हुआ बीज ही लें।
इसकी जानकारी के लिए आप जिले के कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं। बी टी कपास का बीज प्रमाणित संस्था या अधिकृत विक्रेता से ही लें तथा इसका पक्का बिल अवश्य लें।
बीटी कपास के दो पैकेट प्रति एकड के हिसाब से बिजाई करें। कलार से कतार व पौधे से पौधे की दूरी 100 x 45 सेंटीमीटर या 67.5 x 60 सेंटीमीटर रखें।
महत्वपूर्ण सावधानियां 👉
वर्तमान में गुलाबी सुंडी के प्रति बी टी कपास का प्रतिरोधक बीज उपलब्ध नहीं है अतः 3G, 4G एवं 5G के नाम से आने वाले बीजों से सावधान रहें।
गुलाबी सुण्डी बी टी नरमे के दो बीजों (बिनौले) को जोड़कर ‘भंडारित लकड़ियों में निवास करती है, इसलिए लकडी व बिनौलों का भण्डारण सावधानीपूर्वक करें।
किसान भाई अपने खेत में या आसपास रखी गई पिछले साल की नरमा की लकड़ियों के टिन्डे एवं पत्तों को झटका कर अलग कर दें एवं इक्कठा हुए कचरे को नष्ट कर दें। इन लकड़ियों के टिन्डो में गुलाबी सुंबी निवास करती है अतः यह कार्य मार्च महीने के अंत तक जरूर कर लें।
जिन किसान भाइयों ने अपने खेतों में बी टी नरमा की लकड़ियों को भंडारित करके रखा है या
उनके खेतों के आसपास कपास की जिनिंग व बिनौलों से तेल निकालने वाली मिल लगती है उन किसानों को अपने खेतों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि इन किसानों के खेतों में गुलाबी सुण्डी का प्रकोप अधिक होता है।
- कपास की शुरुआती अवस्था में ज्यादा जहरीले कीटनाशको का प्रयोग ना करें। ऐसा करने से मित्र कीटों की संख्या भी कम हो जाती है।
विश्वविद्यालय द्वारा कपास की खेती के लिए हर 15 दिन में वैज्ञानिक सलाह जारी की जाती है अतः उसके अनुसार ही सस्य क्रियाए एवं कीटनाशकों का प्रयोग करें।
बीज का उपचार 👉
जो किसान भाई अमेरिकन कपास (नॉन बी टी) या देसी कपास की बिजाई करना चाहते हैं बढ़िया परिणाम के लिए बिजाई से पहले नीचे दी गई दवाइयों से बीज को उपचारित करें। बिजाई से पहले रोए वाले बीज (68 किलोग्राम) का 6 से 8 घंटे तक तथा रोए उतारे गए बीज (5-6 किलोग्राम) का केवल 2 घंटे तक निम्नलिखित दवाइयों से उपचार करें।
- एमिशन 5 ग्राम, स्ट्रेप्टोसाइक्लीन 1 ग्राम, सक्सीनिक उपचारित करें। 1 ग्राम, को 10 लीटर पानी में मिलाकर
▶ इन दवाइयों से बीज उपचारित करने से पौधों का बहुत से फफूंदो तथा जीवाणुओं से बचाव हो जाता है। यह उपचार फसल को 40 50 दिन तक ही बचा सकता है। इसके बाद छिड़काव कार्यक्रम आरंभ कर दें।
▶ जिन क्षेत्रों में दीमक की समस्या हो वहां उपयुक्त उपचार के बाद बीज को थोड़ा सुखाकर 10 मिली लीटर क्लोरपाइरीफॉस 20 ई. सी व 10 मिली लीटर पानी प्रति किलो बीज की दर से मिलाकर थोड़ा-थोड़ा बीज पर छिड़के व अच्छी तरह मिलाए तथा बाद में 30 40 मिनट बीज को छाया में सुखाकर बिजाई करें।
इसके अतिरिक्त कोई भी संशय होने पर निम्नलिखित नंबरों पर संपर्क करें ।
चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार
8002398139 7015105638, 9812700110, 9416530089, 9041126105, 9992911570, 8901047834